लोहासव: एनीमिया जैसी 10 बिमारियों का शुरू करें आज ही इलाज़
लोहासव का परिचय (Introduction of Lohasava: benefits, dosage)
लोहासव क्या हैं ? (What is Lohasava??)
लोहासव एक आयुर्वेदिक औषधि हैं| यह औषधि आयरन से भरपूर होती हैं इसी कारण इस औषधि का सेवन करने से शरीर में आयरन की कमी पूरी होती हैं| यह औषधि शोधित लोहे के अंश से बनायीं जाती हैं| उदर रोग, पांडू रोग, गुल्म रोग, अर्श रोग में फायदेमंद होती हैं| इस औषधि का प्रयोग पुरानी बुखार और खांसी को खत्म करता हैं| यह औषधि उष्ण प्रकृति की होती हैं| इसका उपयोग करने से पित्त में वृद्धि होती हैं| भगंदर, ग्रहणी रोग को भी इस औषधि के माध्यम से खत्म किया जा सकता हैं| यह औषधि ह्रदय को प्रबलता प्रदान करती हैं|
लोहासव औषधि का घटक द्रव्य (Contents of Lohasava)
- लोह भस्म
- हरा चिरका पीपल
- हरड
- धाय के फूल
- सोंठ
- कालीमिर्च
- बहेड़ा
- अजवायन
- नागरमोथा
- चित्रकमूल की छाल
- शहद
- गुड
- आंवला
- वायविडंग
- जल
लोहासव औषधि बनाने की विधि (How to make Lohasava)
इस औषधि को बनाने के लिए सबसे पहले उचित मात्रा में पानी लिया जाता हैं| अब इस पानी में गुड और शहद को घोला जाता हैं| इस औषधि में गुड और शहद की मात्रा कम होने पर औषधि में खट्टापन आ सकता हैं इसलिए इन्हें अधिक मात्रा में ही डाले| अब इसका मिश्रण बना लिया जाता हैं| इस मिश्रण के आचे से घुल जाने के बाद इसमें सारी औषधियों को कूट कर डाला जाता हैं|
सबसे अंत में धाय के फूलों को मिश्रण में डाला जाता हैं| अब इस मिश्रण को अच्छे से हिला कर तथा बर्तन का मुंह अच्छी तरह से बंद कर दिया जाता हैं| अब इसे महीने भर के लिए इसी तरह किसी सुरक्षित स्थान पर रख दिया जाता हैं| लगभग एक महीने के बाद यह औषधि पूरी तरह से तैयार हो जाती हैं तथा एक महीने के बाद इस औषधि का सेवन किया जा सकता हैं|
लोहासव औषधि के उपयोग और फायदे (Benefits of Lohasava)
एनीमिया रोग में (Lohasava for anemia)
जब शरीर में रक्त की अल्पता आ जाती हैं अर्थात शरीर में खून की कमी आ जाती हैं तो इसे एनीमिया रोग या पांडू रोग कहा जाता हैं| एनीमिया शरीर में हिमोग्लोबिन का स्तर गिरने या हिमोग्लोबिन के अणु में अनचाहे परिवर्तन से खून की कमी हो सकती हैं | किशोरावस्था और रजोनिवृति के बीच की आयु में यह सबसे ज्यादा होता हैं|
गर्भवती महिलाओं को भी एनीमिया की समस्या रहती हैं| इस स्थिति में त्वचा का सफ़ेद दिखना, अधिक थकावट, कमजोरी और चक्कर आने जैसी समस्या आ सकती हैं| लोहासव औषधि का प्रयोग कर के शरीर में हिमोग्लोबिन का स्तर बढाया जा सकता हैं जिससे शरीर में खून की कमी को भी खत्म किया जा सकता हैं|
लोहासव गुल्म रोग को हटायें (Lohasava for Gum disease)
यह रोग वात दोष के कारण उत्पन्न होता हैं| मनुष्य शरीर में नाभि के ऊपर एक गोल स्थान होता हैं जंहा वायु जमा हो कर गोला बन कर रुक जाती हैं या पेट में गांठ की तरह उभार बना देती हैं| यह समस्या मल मूत्र का वेग रोकने, चोट लगने से, भारी खाना खाने से, रुखा सुखा और दूषित भोजन करने से ऐसा हो सकता हैं| इस रोग को खत्म करने में लोहासव औषधि की सहायता लेनी चाहिए|
विषम ज्वर में फायदेमंद
इस स्थिति में बुखार का अनियमित रूप से आना या तेज बुखार का आना| इसमें रोगी को जुखाम, सिरदर्द, बैचैनी, घबराहट भी हो सकती है| इस स्थिति में व्यक्ति को एक दिन छोड़कर एक दिन या हर दुसरे या तीसरे दिन बुखार आती हैं| इस स्थिति में लोहासव औषधि का सेवन करना चाहिए|
लोहासव दमा रोग को खत्म करें (Lohasava for asthma)
दमा एक सांस सम्बंधित समस्या हैं जो आजकल के परिवेश में एक आम समस्या बन गयी हैं| आयुर्वेद में दमा रोग को जड़ से खत्म किया जा सकता हैं| लोहासव औषधि का सेवन करने से इस औषधि के औषधीय गुण दमा जैसे रोग को खत्म कने में सहायक होते हैं| दमा से ग्रसित लोगो को इस औषधि का सेवन जरुर करना चाहिए|
अर्श रोग को खत्म करें (Lohasava for Piles)
इस रोग में रोगी के गुदा के अन्दर और बाहर तथा मलाशय के निचले हिस्से में सूजन आ जाती हैं| इसके कारण गुदा के अन्दर और बाहर या किसी एक जगह पर मस्से बन जाते हैं| व्यक्ति की इस समस्या का समाधान करने के लिए लोहासव एक उत्तम औषधि हैं| इस औषधि का प्रयोग करने से यह बिमारी धीरे धीरे समाप्त होने लगती हैं और रोगी को भी आराम मिलता हैं|
संग्रहणी रोग में लाभदायक (Lohasava for Muscular disease)
यह औषधि संग्रहणी रोग में काफी लाभदायक सिद्ध हुई हैं| इस रोग में बिना किसी दर्द के पानी के समान दस्त आती हैं| यह रोग गंभीर होने पर सांयकाल के भोजन के बाद भी व्यक्ति को मल त्यागने जाना पड़ता हैं| लोहासव औषधि का उपयोग इस रोग सहायता देता हैं |
सूजन को हटायें (Lohasava for Swelling)
लोहासव औषधि शरीर में विभिन्न कारणों से हो रही सूजन की समस्या को भी खत्म करता हैं| इस औषधि में उपस्थित कई प्रकार के पोषक तत्व शरीर में किसी भी प्रकार की सूजन को खत्म करते हैं| आयुर्वेदिक होने के कारण या यह औषधि किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नही छोडती हैं|
लोहासव जीर्ण ज्वर को मिटायें (Lohasava for chronic fever)
जब किसी भी पारकर का ज्वर 14 दिनों से अधिक रह जाता हैं तो उसे जीर्ण ज्वर कहा जाता हैं| इस स्थिति में इस ज्वर को खत्म करने के लिए लोहासव औषधि का प्रयोग करना चाहिए| इस औषधि में उपस्थित गुण जीर्ण ज्वर को तो खत्म करने में सहायता तो करते ही हैं इसके अतिरिक्त भी यह गुणों से भरी हुई औषधि बुखार के कारण हुई शारीरिक हानि को भी भर देती हैं|
पाचक अग्नि बढ़ाएं (Lohasava for Digestion)
मंद पाचक अग्नि होने के कारण हमारा पाचन तंत्र कमजोर हो जाता हैं| कमजोर पाचन तंत्र होने के कारण गैस, अपच, कब्ज़ जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं| लोहासव औषधि का सेवन करने पर यह शरीर के भीतर जा कर मंद पाचक अग्नि को तीव्र करती हैं| पाचक अग्नि के तीव्र होने से भोजन आसानी से और जल्दी पचता हैं जिससे मनुष्य को भूख भी ज्यादा और जल्दी लगती हैं|
भगंदर रोग में लाभदायक (Lohasava for Fissure)
इस रोग में मरीज के गुदा के अन्दर और बाहर नली में घाव या फोड़ा हो जाता हैं| घाव छोटा या बड़ा हो सकता हैं| जब फोड़ा फट जाता हैं तो इससे खून बहने लग जाता हैं| इस पीड़ादायक रोग को दूर करने के लिए लोहासव औषधि का प्रयोग करना चाहिए| यह औषधि शरीर के भीतर जा कर इस समस्या को समाप्त करने में लाभदायक होती हैं|
लोहासव औषधि के सेवन का प्रकार और मात्रा (Doses of Lohasava)
आयु | मात्रा |
बच्चो के लिए | 5 से 10 मिलीलीटर |
व्यस्क व्यक्तियों के लिए | 10 से 25 मिलीलीटर |
दिन में कितनी बार ले | दिन में दो बार सुबह शाम |
सेवन का उचित समय | खाना खाने के बाद |
किसके साथ ले | गुनगुने जल के साथ |
सेवन की अवधि | चिकित्सक की सलाहनुसार |
लोहासव औषधि को लेते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (precautions of Lohasava)
लोहासव औषधि को नमी से दूर रखें|
इस औषधि का सेवन अधिक मात्रा में ना करे नही तो आपको निम्न प्रकार के दुष्प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं –
1) छाती में जलन होना
2) गैस बनना
3) त्वचा पर लाल रंग के दाने होना
4) चकते पड़ने आदि |
5. मधुमेह के रोगी इस औषधि के सेवन से पहले चिकित्सक की सलाह लें
6.यदि आपको लोहासव या उसके किसी भी घटक से एलर्जी हो तो इसका सेवन ना करें
लोहासव औषधि की उपलब्धता (Availability of Lohasava)
डाबर लोहासव (DABUR LOHASAVA)
बैधनाथ लोहासव (BAIDYANATH LOHASAVA)
दिव्य लोहासव (DIVYA PHARMACY LOHASAVA)
धूतपापेशवर लोहासव (DHOOTPAPESHWAR LOHASAVA)
गुआफा लोहासव (GUAPHA LOHASAVA)
मुलतानी लोहासव (MULTANI LOHASAVA)
सांडू लोहासव (SANDU LOHASAVA)
अग्निवेश लोहासव (AGNIVESH LOHASAVA)
बेसिक आयुर्वेदा लोहासव (BASIC AYURVEDA LOHASAVA)
कपिवा लोहासव (KAPIVA LOHASAVA)
कोट्टकल लोहासव (KOTTAKKAL LOHASAVA)
दीप आयुर्वेदा लोहासव (DEEP AYURVEDA LOHASAVA)
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Note- यदि आपका कोई प्रश्न है तो बेझिझक पूछें। आपको प्रत्येक उचित प्रश्न का जवाब मिलेगा| (If you have any question feel free to ask. I will respond to each valuable comment)
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