जौ (Jau)
जौ का परिचय: (Introdution of Jau)
जौ क्या है? (Jau kya hai?)
क्या आप जानते है कि जिस जौ को आप कई स्थानों पर आसानी से देख सकते हैं उसके अनेकों फायदे है| यह प्राचीन काल से ही अनाज का राजा कहलाता है क्योकि इसे किसी भी तरह इस्तेमाल किया जाता है | इसमे विटामिन और पोषक तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते है |
आपको शायद ही पता होगा कि आयुर्वेद में इसको वरदान माना जाता है| यह पैर से लेकर सिर तक की बीमारियों को नष्ट करता है| जो पशुओ के लिए भी बहुत लाभदायक होता है| इसका सबसे अधिक असर मनुष्य के शरीर पर होता है| खासकर जौ का पानी आपके शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है क्योकि यह आपके शरीर को एक दम ताजगी से भरपूर कर देता है| किसी अन्य अनाज की तुलना में बहुत ही लाभकारी होता है|
इसलिए आयुर्वेद में जो का इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज के लिए औषधि के रुप में किया जाता है| जो से पेट दर्द, अत्यधिक प्यास लगना, दस्त, सर्दी, जुखाम जैसे अनेक रोगों से राहत पाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है| चलिये जो के गुणों के बारे में विस्तार से परिचित कराते है|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Jau ki akriti)
यह 60 से 150 सेमी तक ऊँचा व सीधा, शाकीय पौधा होता है| इसके पत्ते भालाकार, रेखित व अल्प संख्या में सीधे, चपटे, 22-30 सेमी लम्बे, 12-15 मिमी चौड़े होते हैं| इसके फूल के स्पाईक 20-30 सेमी लम्बे 8-10 मिमी चौड़े चपटे होते हैं। इसके फल 9 मिमी लम्बे, छोटे नुकीले सिरों से युक्त होते हैं। यह दिसम्बर से अप्रैल महीने में फलता-फूलता है|
जौ के सामान्य नाम (Jau common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Hordenum vulgare |
अंग्रेजी (English) | Barley |
हिंदी (Hindi) | जव, जौ, जो |
संस्कृत (Sanskrit) | यव, अक्षत:, हयप्रिया, |
अन्य (Other) | कुंचाकिन (कन्नड़ ) बरलीबियम (तेलगु ) बरलियारिसी (तमिल ) जब (बंगाली ) नाइ (पंजाबी ) जवा (मराठी ) शाइर (अरबी) जओ (फारसी) यवम (मलयालम) |
कुल (Family) | Poaceae |
जौ के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Jau ke ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | कफपित्तशामक (pacifies cough and pitta) |
रस (Taste) | मधुर (sweet), तिक्त (bitter), कषाय (astringent) |
गुण (Qualities) | रुक्ष (dry), लघु (light) |
वीर्य (Potency) | शीत (cold) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | लेखन, मेधा, मूत्रकारक |
जौ के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Jau ke fayde or upyog)
मोतियाबिंद में जौ (Jau for eyes)
- बढती उम्र के साथ मोतियाबिंद की शिकायत हर व्यक्ति को होती है| जौ के औषधीय गुण इसके कष्ट को कम करने में सहायता करता है| 20-30 मिली त्रिफला के काढ़े में जौ को पकाकर,उसमें मिलाकर खाने से मोतियाबिंद में लाभ मिलता है|
सर्दी जुकाम में (Jau for cold and cough)
- मौसम बदलने के कारण अक्सर सर्दी जुकाम की समस्या रहती है इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए जौ के सत्तू में घी मिलाकर खाने से नजला, जुकाम, खाँसी तथा हिचकियां जैसे रोगो में लाभ होता है| इसके अलावा जौ के काढ़े 15-30 मिली को पीने से जुखाम में लाभ होता है|
घेंघा रोग में उपयोगी (Jau for goiter)
- घेंघा रोग की परेशानी से राहत पाने के लिए जौ के औषधीय गुण बहुत ही फायदेमंद होते है| सरसों, नीम के पत्ते सहजन के बीज अलसी, यव तथा मूली के बीज को खट्टी छाछ में पीसकर गले में लेप करने से घेंघा रोग में लाभ मिलता है|
रोहणी रोग में उपयोगी जौ
- यह डिप्थिरिया के परेशानी को कम करता है| जौ के 5-10 मिली पत्ते के रस में 500 मिग्रा कृष्णमरिच चूर्ण मिलाकर सेवन करने से रोहिणी या डिप्थिरिया में लाभ होता है|
साँस लेने में तकलीफ में (Jau for breathing problem)
- अस्थमा या सांस लेने की तकलीफ से राहत दिलाने में जौ बहुत काम आता है| जौ के सत्तू को मधु के साथ सेवन करने से सांस की बीमारियों में अतिशय लाभ होता है|
- 15-3- मिली यव के काढ़े को पिने से साँस संबंधित हर समस्या समाप्त होती है|
- पिप्पल्यादी-लेह में शहद मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से क्षतज -श्वास, खासी दूर हो कर विर्य में वृध्दी होती है|
अधिक प्यास में उपयोगी (Jau for excessive thirst)
- आम तौर पर प्यास अधिक लगने की समस्या हर किसी व्याक्तिमें होती है| इस समस्या से राहत पाने के लिए पानी में भीगे हुए जौ अथवा कच्चे जौ की दलिया बनाकर उसमें मधु एवं चीनी मिलाकर पीने से अत्यधिक प्यास बुझ जाती है|
अम्लपित्त में उपयोगी जौ
- आज कल के जीवनशैली में खान पान में असंतुलित भोजन खाते जा रहे है फल ये होता है कि पेट में गेस बनने की समस्या होने लगती है| छिलका रहित जौ, वसा तथा आंवला से निर्मित काढ़े 15-30 मिली में दालचीनी, तेजपत्ता और इलाइची का चूर्ण तथा मधु मिलाकर पीने से अम्लपित्त में लाभ मिलता है|
गुल्म रोग में उपयोगी जौ
- गुल्म रोग से राहत पाने के लिए जौ से बनाए खाद्य पदार्थों में अधिक मात्रा में स्नेह और लवण या नमक मिलाकर दूध के साथ सेवन करने से लाभ होता है|
पेट दर्द में उपयोगी (Jau for stomach)
- अक्सर मसालेदार खाना खाने या असमय खाना खाने से पेट में गैस हो जाने पर पेट दर्द की समस्या होने लगती है| जौ के आटे में यव क्षार एवं मट्ठा मिलाकर पेट पर लेप करने से दर्द से राहत मिलती है|
दस्त में उपयोगी (Jau for diarrhea)
- अधिक मसाले दार खाने से या कुछ उल्टा सीधा खाने से आपको दस्त की समस्या हो जाती है| तो शुष्क यव से बने हुए काढ़े का सेवन करने से अतिसार में लाभ मिलता है|
मधुमेह में (Jau for diabetes)
- आजकल की भाग-दौड़ और तनाव भरी जिंदगी ऐसी हो गई है कि न खाने का नियम और न ही सोने का| फल ये होता है कि लोग मधुमेह का शिकार हो जाते है| इस रोग से छुटकारा पाने के लिए जौ से बने आहर का सेवन करना चहिए क्योकि यह इस बीमारी के लिए बहुत ही लाभकारी होता है|
मूत्र संबंधित समस्या में (Jau for urinary disease)
- मूत्र संबंधी बीमारी में बहुत तरह की समस्याएं आती हैं, जैसे मूत्र करते वक्त दर्द या जलन होना, मूत्र रुक रुक कर आना, मूत्र कम आना आदि| जौ इस बीमारी में बहुत ही लाभकारी साबित होता है| भुने हुए जौ, जौ का सत्तू आदि जौ से बनाए गये आहार से निर्मित नियमित सेवन करने से प्रमेह, मूत्रत्याग में कठिनता सफेद दाग, कोढ़ आदि रोगों को उत्पन्न नहीं होने देता है|
प्रमेह में जौ
- शुष्क यव से निर्मित काढ़े का सेवन करने से प्रेमह रोग में लाभ मिलता है|
स्तन्य शोधनार्थ जौ
- यदि माताओ के स्तन से झाग आने लगे तो जौ, गेहूँ तथा पीली सरसों को पीसकर स्तन पर लेप कर, सूखने पर धोना चाहिए| इस बीमारी में भी लाभ मिलता है|
जोड़ो के दर्द में (Jau for joints pain)
- अक्सर उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों में दर्द होने की परेशानी शुरू हो जाती है लेकिन जौ का सेवन करने से इससे आराम मिलता है वातरक्त या गठिया रोग में लालिमा पीड़ा तथा दाह हो तो रक्तमोक्षण के पश्चात मुलेठी चूर्ण, दूध एवं घी युक्त जौ के आटे का लेप करने से लाभ मिलता है|
- उबले हुए यव को पीसकर जोड़ो में लगाने से गठिया के दर्द तथा जोड़ो कर दर्द का शमन करता है |
त्वचा रोग में उपयोगी (Jau for skin)
- बराबर भाग के जो तथा मुलेठी से बनाये कल्क में घी मिलाकर विसर्पपे लेप करने से लाभ मिलता है|
- कुष्ठ रोग में जो से बनाए गए भोज्य पदार्थ का सेवन करना पथ्य है|
- समान मात्रा में जो मुलेठी तथ के चूर्ण में घी मिलाकर गुनगुना करके घाव पर लेप करने से व्रण में लाभ होता है|
- अगर आप मुँहासों के कारण परेशान रहते हैं तो माजूफल के छिलके को यव के साथ घोंट कर मुंह पर लेप करने से मुँहासों दूर होते हैं|
- किसी कारणवश आपके शरीर पर घाव हो जाता है तो जो के आटे का लेप करने से घाव जल्दी ही ठीक हो जाता है|
बुखार में उपयोगी (Jau for fever)
- यदि आपको बार- बार बुखार आता है तो जो के सतू को पानी घोल कर शरीर पर लेप करने बुखार के कारण उत्त्पन्न दर्द का शमन होता है|
नकसीर में उपयोगी (Jau for blood bile)
- गर्मी या मौसम बदलने के कारण नाक से खून निकलने की समस्या रहती है तो जो के सतूको पानी में घोलकर, मंथ बनाकर सेवन करने से अत्यधिक प्यास, जलन तथा रक्तपित में लाभ मिलता है|
मोटापे में उपयोगी (Jau for obesity)
- आजकल की सबसे बड़ी परेशानी है वजन का बढ़ना है| जो, आँवला तथा मधु का नियमित सेवन करने से तथा नित्य व्यायाम एवं अजीर्ण या अपच में भोजन न करने से मोटापा कम होता है|
चोट में उपयोगी (Jau for injury)
- अगर किसी चोट के कारण या बीमारी के वजह से किसी अंग में हुए सूजन से परेशान है तो जोके द्वारा किया गया घरेलू इलाज बहुत ही फायदेमंद होता है| जौ को पीसकर सूजन हुय स्थान पर लगाने से सूजन कम होता है|
दाद में जौ
- दाद के कष्ट से आराम पाने के लिए समान मात्रा में जौ तथा मुलेठी से बनाए पेस्ट में घी मिलाकर विसर्प या दाद पर लेप करने से लाभ होता है|
ह्रदय में (Jau for heart)
- जौ के आटे नियमित रूप से सेवन करने से आपका ह्रदय एक दम सुरक्षित रहता है|
प्रति रोधक क्षमता बढ़ाने में (Jau for immunity)
- जौ की पत्तियों का इस्तेमाल कर शरीर की प्रतिरोध क्षमता को बढ़ा सकते है क्योकि इसमे प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने का गुण पाया जाता है|
लीवर में (Jau for liver)
- यदि आपको लीवर संबंधित कोई भी परेशानी है तो आप जौ का प्रयोग कर सकते है|
कैंसर में (Jau for cancer)
- आपको किसी भी प्रकार का कैंसर हो तो आप जौ के आटे का प्रयोग कर इस बीमारी से धीरे –धीरे छुटकारा पा सकते है|
सिर के बालो के लिए (Jau for hair)
- जौ का पानी सिर के बालो के लिए बहुत ही उपयोगी माना गया है| इसके पानी से कुछ दिनों तक बाल धोने से सफेद बाल धीरे धीरे काले होने लगते है|
एनीमिया में (Jau for anemia)
- अगर आपके शरीर में खून की कमी हो रही है तो आप जौ से बने आहर का सेवन कर सकते है यह आपके लिए बहुत ही लाभकारी है|
पथरी में जौ (Jau for calculus)
- यदि आपके शरीर में कही पर भी पथरी है तो जौ से बने आहर का उपयोग कर सकते है| इससे आपकी पथरी टूट कर बाहर निकल जायगी|
दांत में (Jau for teeth)
- जौ का सेवन करने से आपके दांत और हड्डिया मजबूत होती है क्योकि इसमे कैल्शियम की मात्रा सबसे अधिक पाई जाती है|
पाचन में (Jau for digestion)
- यह आपके पाचन तन्त्र को मजबूत करता है|
गर्भावस्था में जौ (Jau for pregnancy)
- यदि कोई भी महिलाए गर्भावस्था में है तो उनको जौ का दलिया बनाकर खाना चाहिए क्योकि प्रसव आसानी से होता है|
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Jau)
- बीज
सेवन मात्रा (Dosages of Jau)
- जूस – 20-30 मिली
- चूर्ण -2-5 ग्राम
- क्षार 60-250 मिग्रा
- युष- 30-40 मिली