व्योषादी वटी (Vyoshadi vati)
व्योषादी वटी का परिचय (Introduction of Vyoshadi vati)
व्योषादी वटी क्या होती है ? (Vyoshadi vati kya hai?)
यह एक आयुर्वेदिक औषधि है| यह औषधि सर्दी जुकाम के लिए प्रसिद्ध है| व्योषादी वटी के उपयोग से सर्दी जुखाम, पीनस, नजला आदि रोग समाप्त होते है| यह नये—पुराने कफ को बाहर निकालती है| साथ ही सर्दी के कारण होने वाले सिर दर्द, सिर का भारी रहना, भूख नही लगना, सर्दी में बुखार आना, बुखार होने से सिर में दर्द, अंगडाइया आना व आँख में जलन, छीक आना, सुखी खांसी स्वरभंग, अरुचि आदि रोगो से छुटकारा दिलाने में मदद करती है|
यदि समय रहते इसका इलाज नही हुआ तो जुखाम से अनेक रोग उत्पन्न हो सकते है| इनमे मंद मंद ज्वर, अरुचि, कफ, खाँसी, बलगम गिरना, नाक से बदबू आना तथा दुर्गन्धयुक्त स्त्राव होना आदि भयकंर रोगो को नष्ट करने के लिए व्योषादी वटी का प्रयोग किया जाता है|
व्योषादी वटी के घटक (Vyoshadi vati ke gatak)
- सोंठ
- पीपल
- मिर्च
- अम्लवेत
- चव्य
- तालिसपत्र
- चित्रकमूल
- सफेद जीरा
- तिन्तडीक
- दालचीनी
- तेजपात
- इलायची
- गुड़ की चाशनी
व्योषादी वटी बनाने की विधि (Vyoshadi vati banane ki vidhi)
इन सब औषधियों को लेकर चूर्ण बनाकर कूट-कपडछन चूर्ण कर दे और गुड की चाशनी में मिलाकर गोलिया बनाकर छाया में सुखा दे|
व्योषादी वटी के फायदे (Vyoshadi vati ke fayde or upyog)
पीनस में
यह नाक से सम्बधित रोग है| जिसमे सर्दी में आधे सिर में अधिक दर्द होता है| नाक से पानी गिरता है इसमे हल्का बुखार, आखों की पलको के नीचे और उपर दर्द होता है| साथ ही तनाव रहता और चेहरे पर सूजन आदि भी दिखाई देने लगती है| इस रोग के कारण गले व नाक में कफ जमता है इसकी वजह से गले के उपर जबड़े और सिर में दर्द होने लगता है| नाक से बदबू आना, कफ के कारण तेज खांसी होना, शरीर में भारीपन होना|
पीनस रोग साँस से जुडी बीमारी मानी जाती है जबकि यह नाक की गम्भीर बीमारी है | जिससे नाक की हड्डी तिरछी हो जाती है और साँस लेने में तकलीफ होती है | इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को ठंडी हवा, धूप और धुए से अधिक समस्या रहती है | इस रोग से छुटकारा पाने के लिए इस व्योषादी वटी का उपयोग किया जाता है |
नजला में
नजला आम जुखाम को कहते है| यह श्वसन तन्त्र का संक्रमण के कारण होने वाला रोग है | इसमे व्यक्ति की नाक प्रभावित होती है| नजला एक परेशनी को बढ़ाने वाला रोग है जो कभी भी हो सकता है| यह रोग सबसे अधिक मौसम के बदलने के कारण होता है| इसके कारण जुखाम नाक में पानी अधिक झरता है |
नजला जुखाम होने का कारण यह है सुबह उठते ही ठंडा पानी पीना| खाना खाने में खराबी और अधिक शराब पीना और किसी नजले जुखाम के मरीज के साथ रहना| इस नजला जैसे रोग को दूर करने के लिए इस वटी का प्रयोग किया जाता है
नजला ले लक्षण
- बार बार छिख आना
- नाक में खुजली
- नाक का बहना
- गले में खराश
- बार बार नाक बंद होना
- आँखों में पानी बहना
- हल्की हल्की खांसी चलना
कंठ से जुड़े रोग में
कंठ रोग ऐसा रोग है जो वायु या श्वसन तन्त्र के संक्रमण के कारण होता है| इस संक्रमण के चलते गले में सूजन हो सकती है| सूजन के कारण श्वास लेने में तकलीफ हो सकती है और इसके चलते स्वर बेठने लगता है| कंठ रोग के लक्षण हल्के वे गम्भीर हो सकते है|
जिसके कारण गले से भारी भारी आवाज आती है| इस रोग के कारण खान पीन में समस्या उत्पन्न होती है| यह रोग बच्चो को अधिक प्रभावित करता है| इस रोग से छुटकारा पाने के लिए इस वटी का प्रयोग किया जाता है|
ज्वर में (Vyoshadi vati for fever)
इस व्योषादी वटी का उपयोग सभी प्रकार के ज्वर के लिए किया जा सकता हैं| हर व्यक्ति का सामान्य ताप होता है लेकिन यह अधिक हो जाये तो बुखार या ज्वर का रूप ले लेता है | यहाँ तक की पुराने बुखार को भी यह औषधि समाप्त करने की क्षमता रखती हैं| कुछ लोगो की यह शिकायत रहती ही उन्हें बार बार बुखार क्यों आता हैं? ऐसे में यदि इस वटी का प्रयोग किया जाता हैं तो ज्वर में लाभ मिलता हैं|
वात सम्बन्धी रोगों में
वात शरीर में सबसे महत्चपूर्ण माना जाता है| इसके अनुसार जो तत्व शरीर में गति या उत्साह उत्पन्न करता है| वह वात या वायु कहलाते है| शरीर में होने वाली सभी गतिविधिया वात के कारण होती है| जैसे शरीर से पसीना निकलना, रक्त संचार और मल मूत्र का निकलना यह सभी प्रतिक्रिया वात के कारण होती है| वात का मुख्य स्थान पेट में होता है|
वात दोष के कारण शरीर का दुबलापन होना, होठो का फटना, पाचन की समस्या होना, अधिक प्यास लगना, तनाव चिंता और भय की स्थिति बन जाना,वात के कारण नींद की कमी त्वचा में रूखापन आदि लक्षणों को दूर करने के लिए इस वटी का प्रयोग किया जाता है
वात का असंतुलित होने से रक्तप्रवाह और मल मूत्र का ठीक से प्रवाह नही हो पाता है| वात दोष से होने वाले लक्षण शरीर का दुबलापन, आवाज में भारीपन, शरीर का रूखापन, और नींद की कमी इसके अलावा आँखों, भौहो, होठो, हाथो, टांगो, में अस्थिरता आदि लक्षण दिखाई पड़ते है और जल्दी क्रोधित होना, चिढ जाना, नींद में डर जाना और बातो को समझकर भूल जाना | इन सभी समस्याओ को दूर करने के लिए इस व्योषादी वटी का प्रयोग किया जाता है|
कफ सम्बंधित समस्या में
कफ दोष का शरीर में मुख्य स्थान पेट और छाती में रहता है| कफ शरीर को पोषण देने के अलावा वात और पित्त को संतुलित रखता है| कफ, भारी, ठंडा, चिकना, मीठा स्थिर और चिपचिपा होता है| यही कफ के स्वभाविक गुण होते है| कफ मृत कोशिकाओ से बनता है और फेफड़ो व श्वसन तन्त्र द्वारा बनाया जाता है| कोई व्यक्ति पहले से किसी अन्य बीमारी से ग्रस्त है जैसे पीलिया, मलेरिया, टाइफाइड आदि बीमारियों के कारण कफ अधिक बनता है| यदि व्यक्ति को कफ आधिक जम रहा हो तो उसे कोई अन्य बीमारी भी हो सकती है| इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए व्योषादी वटी का प्रयोग किया जाता है
अन्य फायदे (Other benefits of Vyoshadi vati)
- नाक की समस्या को दूर करना
- गला बेठना
- खांसी
व्योषादी वटी की सावधानियाँ (Vyoshadi vati ki savdhaniya)
- बच्चो को कम मात्रा में देना
- गर्भवती महिलाओं को इस औषधि के सेवन से बचना चाहिए |
- यदि आप पहले से भी कोई दवाई ले रहे है, तो अपने चिकित्सक को जानकारी अवश्य देवे |
व्योषादी वटी की सेवन विधि (Vyoshadi vati ki sevan vidhi)
- एक –एक गोली दिन भर में सात- आठ गोली तक गरम पानी से दे या मुंह में रखकर एक- एक गोली चूसते रहे
व्योषादी वटी की उपलब्धता (Vyoshadi vati ki uplabdhta)
- बेधनाथ व्योषादी वटी
- डाबर व्योषादी वटी
- कालेडा व्योषादी वटी
- साधना व्योषादी वटी
- ऊंझा व्योषादी वटी