मेहंदी (Mehandi)
मेहंदी का परिचय: (Introduction of Mehandi)
मेहंदी क्या है? (What is Mehandi)
भारत में मेहंदी का अपना एक अलग ही महत्व है| भले ही वह आज के ज़माने का शुभ कार्य हो चाहे प्राचीन कल का शुभ कार्य| मेहंदी को हमेशा से ही शुभ कार्यों में प्राथमिकता के साथ उपयोग में लिया जाता है| इसी प्रकार आयुर्वेद में भी मेहंदी का बहुत अच्छा उपयोग बताया गया है| मेहंदी केवल हाथ की शोभा ही नही बढ़ाती है बल्कि इसके पत्ते शरीर को एक दम स्वस्थ रखते है| मेहंदी से व्यक्ति कई प्रकार की बीमारियों से राहत पा सकते है| क्या आपको पता है की मेहंदी से त्वचा के सभी रोगो से छुटकारा पाया जा सकता है|
अभी तक आपने केवल इसको सोन्दर्य बढ़ाने के लिए ही प्रयोग में लिया होगा| लेकिन क्या आपको पता है इसका उपयोग शरीर के लिए कितना फायदेमंद है| मेहंदीआपके लीवर को स्वस्थ रखता है और यह मूत्र रोग, सुजाक, गुर्दे की पथरी में, पीलिया कुष्ठ, गठिया आदि रोगो में इसका उपयोग किया जाता है|
आइये इसके अन्य फायदों के बारे में विस्तार से जानते है की इसका उपयोग किन – किन बीमारियों में किया जाता है| या फिर यह और इसके कितने ही सारे फायदे है |
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Mehandi ki akriti)
मेंहदी की पत्तियों का प्रयोग रंजक द्रव्य के रूप में किया जाता है तथा इसकी सदाबहार झाड़ियां बाड़ के रूप में लगाई जाती हैं| यह समस्त भारत में मुख्यत पंजाब, गुजरात, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान के शुष्क पर्णपाती वनों में पाई जाती है| स्त्रियों के शृंगार प्रसाधनों में विशिष्ट स्थान प्राप्त होने के कारण, मेंहदी बहुत लोकप्रिय है| मेंहदी की पत्तियों को सुखाकर बनाया हुआ महीन पाउडर बाजारों में पंसारियों के यहां तथा अन्य विक्रेताओं के यहां आकर्षक पैक में बिकता है|
इसका 2 या 6 मीटर लम्बा झाड़ीदार पौधा होता है| इसकी शाखाये चतुष्कोणीय तथा काटो से युक्त होती है| इसका तना काटेदार तथा बुरे रंग का होता है| इसके पत्ते छोटे चमकीले तथा अंडाकार होते है|इसके पत्तो के मध्य एक शिरा होती है| इसके पत्तो को मसलने पर चिकने तथा लुआवदार हो जाते है| इसके फूल छोटे तथा सफेद व गुलाबी रंग के सुगन्धित होते है| इसके फल मटर के सम्मान छोटे हरे, भूरे होते है| यह पकने के बाद बैंगनी रंग के हो जाते है| इसके बीज चिकने होते है|
मेहंदी के सामान्य नाम (Mehandi common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Lawsania inermis |
अंग्रेजी (English) | Henna |
हिंदी (Hindi) | मदयन्तिका, मेदिका, नखरंजका, नखरंजनी, रंजका, राजगर्भा |
संस्कृत (Sanskrit) | मेंहदी, हिता |
अन्य (Other) | मेंहदी (उर्दू)मेंहदी (उड़िया)माज्ज (कन्नड़)पनवार मेंदी (गुजराती)ऐवणम् (तमिल)कोम्मि (तमिल)शुदी (बंगाली)मेंहदी (पंजाबी)मेंदी (मराठी)मैइलाञ्जि (मलयालम)हेना पम्बी (मणिपुर) |
कुल (Family) | Lythraceae |
मेहंदी के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Mehandi ke Ayurvedic gun)
दोष (Dosha) | कफपित्तशामक (pacifies cough and pitta) |
रस (Taste) | तिक्त (bitter), कषाय (astringent) |
गुण (Qualities) | लघु (light), रुक्ष (dry) |
वीर्य (Potency) | शीत (cold) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | वेदनास्थापन, शोथहर, स्तम्भन, केश्य, दाहप्रशमन |
मेहंदी के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Mehandi ke fayde or upyog)
त्वचा के रोग में (Mehandi for skin)
- यदि आप त्वचा के रोगो से परेशान है तो पत्तो तथा फूलो के एक चम्मच की मात्रा में सेवन करने से त्वचा के रोगो का शमन होता है|
- कुष्ठ रोग से लाभ पाने के लिए मेहंदी के पत्तो को पीसकर लेप करना चाहिए| इसके अलावा घाव, पामा रोग आदि ठीक होते है|
- मेहंदी के पत्तो का काढ़ा बनाकर फोड़ो –फुंसी को धोने से अत्यंत लाभ होता है|
हाथ – पैरो की जलन में मेहंदी
- गर्मियों में अक्सर हाथ पैरो की जलन से व्यक्ति परेशान रहता है| इस जलन से छुटकारा पाने के लिए मेहंदी के पत्तो को पीसकर पानी में मिलाकर हाथ पैरो में लेप करने से जलन का शमन होता है|
बालों को रंगीन बनाने के लिए (Mehandi for hair colour)
- यदि आपके बाल समय से पहले ही सफेद होते जा रहे है तो आपको मेहंदी का उपयोग करना चहिए| इसके उपयोग से आपके दिमाग को ठंडक भी मिलती है और और दिमाग शांत भी रहता है| इसके लिए मेहंदी के पत्तो के चूर्ण और नील के पत्तो के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर और इसमे पानी मिलाकर बालो में लगाने से सफेद बाल काले होते है| साथ ही बालो की झड़ने की समस्या दूर होती है|
सिर दर्द में (Mehandi for headache)
- यदि किसी कारण वश जैसे पित्त तथा गर्मी से सिर दर्द कर रहा है तो इस दर्द को दूर करने के लिए आपको मेहंदी का उपयोग करना चहिए| मेहंदी के पत्तो को तैल में उबालकर सिर पर लगाने से सिर दर्द का शमन होता है|
- इसके अलावा इसके फलो का घोल बनाकर पिने से सिर दर्द में आराम मिलता है|
चक्कर को दूर करने में मेहंदी का उपयोग
- दिमाग के रोगो में मेंहदी के बीजों को शहद के साथ चाटने अथवा इसके फूलों का काढ़ा पिलाने से अच्छा लाभ होता है| दवा खाने के तुरन्त बाद ही गेहूं की रोटी खांड तथा घी मिलाकर खिलाएं, इससे सिर का चकराना दूर होता है|
पीलिया में (Mehandi for jaundice)
- अगर आप पीलिया रोग से ग्रस्त है तो मेहंदी के पत्तो लेकर रात को मिट्टी के बर्तन में भिगो दे फिर इन पत्तियों को सुबह मसलकर तथा छानकर पिने से पीलिया में लाभ होता है| ऐसा एक या दो सप्ताह तक करने से पुराना पीलिया भी ठीक होता है|
घुटनों के दर्द में (Mehandi for joint pain)
- यदि आपके जोड़ो के दर्द के कारण घुटनों में दर्द हो रहा है तो मेहंदी और एरण्ड के पत्तो को मिलाकर थोडा गर्म करके घुटनों पर लेप करने से घुटनों के दर्द में लाभ होता है|
- यदि आपको जोड़ो के दर्द की समस्या है तो मेहंदी के पत्तो तैल में पकाकर जोड़ो पर लगाने से दर्द का सजमन होता है|
अनिद्रा में (Mehandi for insomnia)
- यदि आपको तनाव या किसी अन्य कारण से नींद नही आती है तो मेहंदी के सूखे फलो को रुई के तकिय में भरकर सिरहाने पर रख के सोने से अच्छी नींद आती है|
बेहोशी या मूर्छा में मेहंदी
- यदि किसी को भी अधिक गर्मी और सर्दी या अन्य किसी कारण बेहोशी हो जाती है तो मेहंदी के पत्तो के रस को दिन में एक या दो बार दूध के साथ पिने से बेहोशी का शमन होता है|
उच्च रक्त चाप में (Mehandi for high blood pressure)
- यदि आप उच्च रक्त चाप से परेशान है तो मेहंदी का उपयोग कर सकते है इसके लिए मेहंदी को पीसकर पैरो की तलवो पर लगाने से उच्च रक्तचाप में आराम मिलता है|
मिरगी रोग में (Mehandi for epilepsy)
- अगर कोई भी व्यक्ति इस रोग से पीड़ित है तो मेहंदी का उपाय करके इस रोग में आराम पा सकते है| इसके लिए दो कप दूध में अल कप चौथाई में महंदी पत्तो का रस मिलाकर पिने से इस प्रयोग से अधिक लाभ मिलता है|
बालो को घना करने के लिए मेहंदी
- मेहंदी में दही, आंवला पाउडर, मेथी पाउडर मिलाकर घोल तैयार करें और इसे बालों में लगाएं| एक या दो घंटो तक बालों में रखने के बाद बाल धो लें| ऐसा करने से बाल काले, घने और चमकदार होते हैं|
कब्ज में (Mehandi for constipation)
- यदि आप कब्ज से परेशान है तो मेहंदी के पत्ते तथा किसमिस को मिलाकर एक पेस्ट बना और इस पेस्ट का सेवन करने से कब्ज नियंत्रण रहता है|
लीवर के लिए (Mehandi for liver)
- मेहंदी की छाल तथा पतियों को पीसकर चूर्ण बनाकर दूध या पानी के साथ सेवन करने से लीवर एक दम स्वस्थ रहता है और लीवर के होने वाले रोग भी दूर रहते है|
नकसीर में (Mehandi for blood bile)
- मेंहदी, जौ का आटा, धनियां तथा मुलतानी मिट्टी सबको समान मात्रा में लेकर बारीक पीस लें और पानी मिलाकर लेप बना लें, मस्तक और ललाट पर लेप करें और ऊपर से मलमल का कपड़ा पानी से तर करके रखते हैं| पावं के तलवों पर भी मेंहदी लगाएं, कुछ दिन के प्रयोग से स्थायी लाभ होगा और नाक – कान से खून आना बंद हो जाता है|
आँखों के लाल होने पर मेहंदी का प्रयोग
- मेंहदी तथा जीरा दोनों को दरदरा कूटकर रात्रि में गुलाब जल में भिगो दें और प्रात छानकर स्वच्छ शीशी में रख लें और भूनी हुई फिटकरी को बारीक पीसकर मिला लें और आवश्यकता के समय आँखों में डालने से आंखों की लालिमा दूर होती है|
मुँह के छालों में (Mehandi for mouth ulcers)
- यदि मुँहे में छाले हो गये है तो मेंहदी के पत्तों को पानी में भिगोकर रख दें, थोडी देर बाद छानकर इस सुनहरे पानी से गंडूष करने से मुंह के छाले शीघ्र शान्त हो जाते हैं|
मूत्र रोग में (Mehandi for urinary disease)
- यदि आपको मूत्र रोग से संबंधित कोई भी समस्या है तो मेहंदी के पत्तो तथा छाल का पेस्ट बनाकर इसमे कलमिशोरा मिलाकर सुबह – शाम को पीने से मूत्र रोग का शमन होता है|
सफेद पानी में मेहंदी
- अक्सर महिलाओ को सफेद पानी की शिकायत रहती है| इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए मेहंदी पत्ते के रस गाय के दूध में मिलाकर पिने से सफेद पानी में लाभ होता है|
वीर्य के स्त्राव में
- मेंहदी के 5 – 10 मिली पत्तो के रस में थोड़ा जल और मिश्री मिलाकर सेवन करने से वीर्य में लाभ होता है।
उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of Mehandi)
- जड़
- पत्ती
- फूल
- बीज
- छाल
सेवन मात्रा (Dosages of Mehandi)
- रस – 5 से 10 मिली
- बीज चूर्ण 1 से 3 ग्राम
मेहंदी से निर्मित औषधियां
- मदयंत्यादि चूर्ण