अजमोदा (Ajmoda): आपके किचन से बेहतर स्वस्थ रहने के 27 घरेलु प्रयोग (Ajmoda: Benefits and Usage)
अजमोदा का परिचय: (introduction of Ajmoda)
अजमोदा क्या है? (what is Ajmoda?)
शीत ऋतु में अधिकतर पहाड़ों पर उगाया जाने वाला एक दिव्य पौधा हैं अजमोदा | इसे विभिन्न प्रकार की बिमारियों को दूर करने के लिए काम में लिया जाता हैं| कई सारे ग्रंथो में इसका वर्णन पाया जाता हैं जिससे यह साफ़ होता हैं कि इसका उपयोग कई ऋषि मुनि और वैद्य लोगो का इलाज़ करने के लिए किया करते हैं|
कई लोग अजवायन और अजमोदा (खराश्वा) को एक ही मान लेते हैं परन्तु ऐसा नही हैं| इस पौधे में और धनियें के पौधे की बनावट में कोई ज्यादा अंतर नही हैं| यहाँ तक कि कई लोग अजमोदा को धनिया समझ बैठते हैं| इस औषधि के बारे में सारी जानकारियां इस लेख में विस्तार से बताई गयी हैं|
अजमोदा निम्न क्षेत्रो में मुख्य रूप से पाया जाता हैं-
- बंगाल
- हिमालय के पश्चिमी और उत्तरी क्षेत्र में
- पंजाब
- हिमाचल प्रदेश
- उत्तराखंड
- ईरान आदि|
अजमोदा में पाए जाने वाले रासायनिक तत्व (Nutrients of Ajmoda)
- एपिओल (गंधक, गोंद, क्षार, लवण आदि)
- वाष्पशील, सुगन्धित तेल
- ब्यूटिलफ़थैलाइएड
- ग्रेविओबायोसाइड
- सीडानोलाइड
- कैफिक अम्ल
- क्लोरोजेनिक अम्ल
- मिरिस्टिक अम्ल
- अम्बेलिफेरोन
- ग्लूकोसाइड एपिन
- फ्युरानोकोमरिन आदि|
बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Morphology of Ajmoda )
धनिये की तरह दिखने वाले इस पौधे की अधिकतम ऊंचाई 5 m हो सकती हैं| धनिये की तरह ही इसके पत्ते किनारों से कटे हुए और फूल छतरी के आकार के होते हैं| फूलों का रंग सफ़ेद होता हैं| इसके बीजो को ही अजमोदा कहा जाता हैं| फरवरी से मार्च के बीच फूल पूरी तरह खिल जाते हैं और मार्च से अप्रैल तक फूल फल में बदल जाते हैं|
अजमोदा के सामान्य नाम (Ajmoda common names)
वानस्पतिक नाम (Botanical Name) | Apium graveolens |
अंग्रेजी (English) | Wild celery, Marsh Parsley |
हिंदी (Hindi) | अजमोदा |
संस्कृत (Sanskrit) | अजमोदा, खराश्वा, कारवी, मायूर आदि |
अन्य (Other) | अजुमोदा (तेलुगु) सेलेरीकेराई (तमिल) सेलेरिना (कन्नड़) रान्धुनी (बंगाली) भूतजटा (पंजाबी) अजमोडा (नेपाली) |
कुल (Family) | Apiaceae |
अजमोदा के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Ayurvedic Properties of Ajmoda)
दोष (Dosha) | कफवातशामक (pacifies cough and vata), पित्तवर्धक (Increase pitta) |
रस (Taste) | कटु (pungent), तिक्त (bitter) |
गुण (Qualities) | लघु (light), रुक्ष (dry), तीक्ष्ण (strong) |
वीर्य (Potency) | उष्ण (hot) |
विपाक(Post Digestion Effect) | कटु (pungent) |
अन्य (Others) | वेदनास्थापन, विदाही, दीपन, मूत्रप्रवर्तक |
अजमोदा के औषधीय फायदे एवं उपयोग (Benefits and Usage of Ajmoda )
गठिया में
- सूजन, आमवात, जोड़ो का दर्द इन सभी को मिटाने के लिए खराश्वा, काली मिर्च, पिपली, सोंफ, पिप्पली मूल, चित्रक, देवदारु, वायविडंग ये सब 5 से 10 ग्राम, विधारा और शुंठी 70 से 90 ग्राम की मात्रा में लेकर, पुराने गुड़ के साथ मिलाकर गर्म जल के साथ दिन में तीन बार सुबह, शाम और दोपहर को लेना चहिये|
गला बैठने पर
- घी को यवक्षार और खराश्वा के साथ पका कर इसका सेवन करना चाहिए जिससे स्वरभंग में लाभ मिलता हैं|
- कंठ रोगों के और भी कई विकारों को दूर करने के लिए खराश्वा को उबालकर उसमे सैंधा नमक डाल कर गरारे करने से राहत मिलती हैं|
श्वास रोग में (Ajmoda for asthma)
- खराश्वा के चूर्ण को दिन में दो बार गर्म पानी या शहद के साथ लेने से सांस की नली में आई सूजन तथा और भी कई सांस से जुडी समस्या को दूर किया जा सकता हैं|
हिचकी में (Ajmoda for hiccup)
- यदि आपको भी भोजन करने के तुरंत बाद हिचकियाँ आना शुरू हो जाती हैं तो इसमें खराश्वा के दानों को चूसना चाहिए|
पेट दर्द में (Ajmoda for stomach)
- सुबह सुबह गर्म जल में काले नमक के साथ खराश्वा मिला कर पीने से पेट दर्द में लाभ मिलता हैं|
- शुंठी चूर्ण के साथ खराश्वा तेल की कुछ बुँदे मिला कर गर्म जल के साथ पीने पर पेट दर्द में आराम मिलता हैं|
अतिसार या दस्त में (Ajmoda for diarrhea)
- यदि दस्त के साथ दर्द होता हैं तो दूध में घी, शहद, मिश्री, खराश्वा और मुलेठी के चूर्ण को मिलाकर पीने से दर्द में रहत मिलती हैं|
- यदि आपको पतले दस्त हैं तो आप खराश्वा, सोंठ, मोचरस और धाय के फूलों का चूर्ण कर के छाछ के साथ पीने से दस्त में राहत मिलती हैं|
दांत दर्द में (Ajmoda for teeth)
- दांत में हो रहे रहे दर्द को समाप्त करने के लिए अजमोदा को हल्का भून कर दांतों पर लगाने से पीड़ा का शमन होता हैं|
अफारा में
- अजमोदा चूर्ण और गुड़ को एक साथ मिलाकर गर्म जल से अधिक बार सेवन करने से इससे लाभ मिलता हैं|
मूत्र विकारों में (Ajmoda for urinary disease)
- अजमोदा की जड़ का चूर्ण बना कर दिन में दो बार जल के साथ सेवन करने से इनमे लाभ मिलता हैं|
पथरी में (Ajmoda for calculus)
- यदि आप भी पथरी से परेशान हैं तो अजमोदा के चूर्ण में यवक्षार मिलाकर, मूली पत्र के रस के साथ दिन में दो बार सुबह शाम लेने से आपकी परेशानी दूर हो सकती हैं|
कृमि होने पर
- जब बालकों के गुदा स्थान पर कृमि पनपने लगे तो ऐसे में अजमोदा को पीस कर लगाने से आराम मिलता हैं|
सूखी खांसी में (Ajmoda for dry cough)
- पान के पत्ते में अजमोदा को रख कर धीरे धीरे चबाने से सूखी खांसी दूर होती हैं|
कुष्ठ में (Ajmoda for leprosy)
- गुड़ के साथ अजमोदा के चूर्ण का 2 से 5 ग्राम हिस्सा देने से इस रोग m लाभ होता हैं| इसे सात दिनों तक सुबह,शाम और दोपहर को सेवन करना चाहिए|
सूजन में (Ajmoda for swelling)
- सूजन को समाप्त करने के लिए अजमोदा, सौंफ, शतावरी, अश्वगंधा, सोंठ, रास्ना, गिलोय, छोटी पीपल को घी के साथ मिला कर सुबह शाम लेना चाहिए|
पेचिश में
- पाठा, अजमोदा, कुटज की छाल, नीलकमल, सौंठ और पीपल के चूर्ण को यदि हल्के गर्म पानी के साथ पिया जाता है तो पेचिश की समस्या का समाधान होता है|
उल्टी में
- अजमोदा और लौंग का चूर्ण बना कर उस चूर्ण को शहद के साथ खाने से उल्टी में लाभ मिलता है|
बवासीर में (Ajmoda for piles)
- बवासीर या गुदा मार्ग पर होने वाले दर्द में अजमोदा को गर्म कपड़े में बाँध कर सेक करना चाहिए|
दर्द में
- आपके शरीर में किसी भी कारण कही भी होने वाले दर्द को अजमोदा का सेवन करके समाप्त किया जा सकता है| आप अजमोदा को तेल में पका कर उसकी मालिश कर सकते है|
बुखार से छुटकारा दिलाये अजमोदा का सेवन (Ajmoda for fever)
- अजमोदा को सुबह सुबह पानी के साथ निगलने से बुखार का जल्द ही शमन हो जाता है|
ह्रदय के लिए लाभदायक (Ajmoda for heart)
- यह औषधि ह्रदय के लिए काफी लाभदायक होती है| यह कोलेस्ट्रोल के स्तर को नियंत्रित रखता है| इसके साथ ही इसका सेवन उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए अच्छा मन जाता है|
भूख बढ़ाये अजमोदा का सेवन
- यदि आप खाना उचित मात्रा में नही खाते है तो ऐसे में आप अजमोदा का सेवन कर सकते है| यह भूख बढ़ाने में काफी हद तक कामयाब पाया जाता है|
घाव के लिए (Ajmoda for wound)
- घाव को जल्दी भरने तथा संक्रमण से बचने के लिए आप अजमोदा के चूर्ण का प्रयोग कर सकते है|
कैंसर के लिए (Ajmoda for cancer)
- इस दिव्य औषधि में कैंसर को रोकने के गुण पाए जाते है| यह मुख्य रूप से त्वचा के कैंसर में सहायता प्रदान करता है|
कब्ज़ का शमन करे (Ajmoda for constipation)
- अजमोदा से निर्मित काढ़े का सेवन करने से आप पुरानी कब्ज़ से भी राहत पा सकते है| इसे आप दिन में एक से दो बार तक ले सकते है|
वजन घटायें अजमोदा
- कई लोग वजन घटाने के लिए अलग अलग दवाओं का उपयोग शुरू करते है| इन में से कुछ का वजन घटता है तो कुछ का नही| लेकिन यह दवाएं शरीर के दूसरे अंगों को ख़राब करने लगती है| ऐसे में यदि आप इस औषधि का सेवन शुरू करते है तो यह आपके वजन को नियंत्रित करने में सहायता करेगी|
मधुमेह में (Ajmoda for diabetes)
- अजमोदा के चूर्ण का सेवन यदि मधुमेह में किया जाता है तो इससे काफी अच्छे परिणाम मिलते है| इसके साथ यह रोग नियंत्रण में रहता है|
अनिद्रा की परेशानी को करे दूर (Ajmoda for insomnia)
- अजमोदा से निर्मित काढ़े का सेवन करने से नींद अच्छी और गहरी आती है इसके साथ ही व्यक्ति तनाव मुक्त भी रहता है|
अजमोदा के उपयोगी भाग (Important parts of Ajmoda)
- बीज
- पत्ते
- जड़
- तेल
अजमोदा के उपयोग की मात्रा (Dosages of Ajmoda)
- काढ़ा – 15 से 35 मिली
- चूर्ण – 1 से 2 चम्मच
अजमोदा का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ
- अधिक मात्रा में इसे ना लें नहीं तो छाती में जलन हो सकती हैं|
- गर्भवती महिला और अपस्मार के रोगी को इसका सेवन नही करना चाहिए|
अजमोदा से निर्मित औषधियां(Medicines Manufactured with Ajmoda)
- अजमोदादि चूर्ण
- अजमोदादि वटक