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इन्द्रायण (Indrayan)

इन्द्रायण का परिचय: (Introduction of Indrayan)

Table of Contents

इन्द्रायण क्या है? (What is Indrayan?)

आमतौर पर लोग इन्द्रायण के बारे में नही जानते है| परन्तु जो लोग इस औषधि के बारे में जानते है वे जरुर इसका फायदा उठाते होंगे| क्या आप भी इसके गुणों को जानकर इसका फायदा उठाना चाहते है तो इस लेख को विस्तार से जरुर पढ़े|

कब्ज़, पीलिया, बवासीर, सूजन, मधुमेह और त्वचा रोगों जैसी कई समस्याओं के लिए यह एक रामबाण औषधि है| शरीर के किसी न किसी अंग से कोई न कोई बीमारी का शमन इसके सेवन से आसानी से किया जा सकता है| यह लगभग पूरे भारत में पायी जाती है| इसी कारण हर भारतवासी को इससे होने वाले फायदों के बारे में जरुर जानकारी होनी चाहिए| आइये इसके गुणों को विस्तार से से जानते है|

इन्द्रायण की प्रजातियाँ (Indrayan ki prajatiya)

  • इन्द्रायण
  • जंगली इन्द्रायण
  • बड़ी या लाल इन्द्रायण

इन्द्रायण का बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Indrayan ki akriti)

इन्द्रायण के फल इसकी लता पर लगे होते है| इसके पत्तें दिखावट में तरबूज के पत्तों की तरह ही दिखाई देते है| लेकिन आकार में काफी छोटे होते है| पत्तों के दोनों किनारे कटे होते है परन्तु अलग अलग आकार में| फूलों का रंग कुछ पीला होता है| हरे और सफ़ेद रंग के इसके फल गोल और अन्दर से गूदेदार होते है| फल के अन्दर कई बीज होते है जिनका रंग कुछ भूरा होता है| इसके फूल और फल अगस्त से दिसम्बर के बीच होते है|

जंगली इन्द्रायण का बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Indrayan ki akriti)

जंगली इन्द्रायण की लता इन्द्रायण से थोड़ी बड़ी होती है| इस पर सफ़ेद वर्ण के रवें होते है| इसकी जड़ ऊपर से मोटी तथा नीचे आते हुए छोटी होती दिखाई पड़ती है| इसके पत्तों का आकार लाल इन्द्रायण के समान होता है या उससे भी छोटा हो सकता है| दूसरे पेड़ों के सहारे इसकी लता बढती रहती है| इसके घंटाकर फूल पीले रंग के होते है| इसके फल का आकार नीम्बू के समान होता है| जब यह कच्चा होता है तो हरा और पूरा पाक जाने के बाद पीले रंग का हो जाता है|

छोटी या लाल इन्द्रायण का बाह्य स्वरुप (आकृति विज्ञान) (Indrayan ki akriti)

इसके फूल सफ़ेद वर्ण के होते है| जब इसका फल पाक जाता है तो वह निम्बू के समान परन्तु लाल दिखाई देता है| यह बहुत कड़वा होता है| इसका छिलका पतला होता है जिससे यह जल्दी निकल जाता है|

इन्द्रायण के सामान्य नाम (Indrayan common names) Herbal Arcade
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गोरूम्ब/इन्द्रायण के सामान्य नाम (Indrayan common names)

वानस्पतिक नाम (Botanical Name)Citrullus colocynthis
अंग्रेजी (English)Colocynth, Bitter apple
हिंदी (Hindi)इनारुन, इन्द्रायण, इन्द्रायन, इन्द्रारुन, गोरूम्ब
संस्कृत (Sanskrit)इन्द्रवारुणी, चित्रा, गवाक्षी, गवादनी, वारुणी
अन्य (Other)इन्द्रावणा (गुजराती) इन्द्रावणा (तुम्बा) मकहल (बंगाली) इन्द्राणी (नेपाली) इन्द्रफल (मराठी)
कुल (Family)Cucurbitaceae

इन्द्रायण के आयुर्वेदिक गुण धर्म (Indrayan ke ayurvedic gun)

दोष (Dosha)कफपित्तशामक (pacifies cough and pitta)
रस (Taste)तिक्त (bitter)
गुण (Qualities) लघु (light), रुक्ष (dry), तीक्ष्ण (strong)
वीर्य (Potency) उष्ण (hot)
विपाक(Post Digestion Effect) कटु (pungent)
अन्य (Others)कुष्ठशामक, विरेचक, कृमिघ्न, मूत्रल
Ayurvedic properties of indrayan Herbal Arcade
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इन्द्रायण के फायदे और उपयोग (Indrayan ke fayde or upyog)

कब्ज़ में (Indrayan for constipation)

  • यदि आप कब्ज़ से परेशान है और पेट सही से साफ़ नही हो पाता है तो पानी में इन्द्रायण के उबले हुए फल के गूदे को गाढ़ा होने दें| अब इसकी वटी बना लें जिसका आकार अधिक बड़ा न हो| इस वटी का सेवन ठन्डे दुग्ध के साथ करने से पेट आसानी से साफ़ हो जायेगा और कब्ज़ भी दूर होगी|

पीलिया या कामला में (Indrayan for jaundice)

  • गोरूम्ब के फल का गूदा निकाल कर रोगी को खिलाने से पीलिया का शमन होता है|

प्लीहा विकार का शमन करे (Indrayan for spleen)

  • पुनर्नवा और गोरूम्ब के फल का काढ़ा बना कर सेवन करने से सभी प्रकार के तिल्ली या प्लीहा विकारों से छुटकारा मिलता है|

अस्थमा को भगाएं (Indrayan for Asthma)

  • चिलम में गोरूम्ब के सूखे फल को रख कर सेवन करने से अस्थमा रोग में लाभ मिलता है|

त्वचा रोगों में (Indrayan for skin disease)

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  • कुष्ठ में कई प्रकार के त्वचा रोग होते है| इसमें यदि फल का पेस्ट बना कर शरीर पर मला जाता है तो आराम मिलता है|
  • फोड़े होने पर गोरूम्ब या इन्द्रायण के फल को पीस कर नारियल के तेल में मिश्रित कर के लगाना चाहिए| इससे फोड़े और उनसे निकलने वाले मवाद से राहत मिलती है| घाव में भी इस लेप को लगाया जा सकता है|
  • छोटी तथा बड़ी इन्द्रायण की मूल का चूर्ण बनाकर उसे एक लेप में परिवर्तित कर लें| इस लेप को प्रभावित स्थान पर लगाने से त्वचा रोगों का शमन होता है|

गुल्म में

  • इस औषधि के फल का सेवन करने से पित्तज और कफज गुल्म में लाभ मिल सकता है| ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इसका फल कफ और पित्त का शमन करता है|

मधुमेह में (Indrayan for diabetes)

  • गोरूम्ब की जड़ या फल के गूदे का सेवन करना मधुमेह के रोगियों के लिए काफी लाभदायक होता है| इसमें मौजूद तत्व रक्त में शर्करा का स्तर कम करने में सहायक होते है|

घेंघा रोग में (Indrayan for goiter)

  • गोरूम्ब की मूल को यदि पीस कर उसका लेप बना कर गले के आस पास लगाया जाता है तो घेंघा रोग का शमन हो जाता है| इससे सूजन में भी फर्क पड़ता है|

खून की कमी को दूर करें (Indrayan for anemia)

  • गोरूम्ब का सेवन करने से खून की कमी तो पूरी होती है| इसके अलावा यह ख़राब हुई लाल रक्त कोशिकाओं को पुनः पहले जैसी बनाने में भी सहायक होता है|

पेट के कीड़ों का शमन करें (Indrayan for stomach bugs)

  • गोरूम्ब के फल के पीसे हुए गूदे को गुनगुना कर के पेट पर बांधने से पेट और आंतों के कीड़ें मर जाते है| इसके साथ ही अब भोजन का पूरा पोषण व्यक्ति को ही मिलता है|

पथरी में (Indrayan for calculus)

  • इन्द्रायण की मूल को गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से पथरी टूट कर या गल कर मूत्र मार्ग द्वारा मूत्र के साथ बाहर निकल जाती है|

बुखार को कम करें इन्द्रायण का सेवन (Indrayan for fever)

  • सर्षप के तेल में गोरूम्ब की पीसी हुई जड़ को मिलाकर शरीर पर मालिश करने से रोगी के शरीर का तापमान कम होता है| इसके साथ ही धीरे धीरे बुखार का भी शमन हो जाता है|

हाथीपांव में

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  • यदि इस औषधि की जड़ का चूर्ण बना कर उसे प्रभावित स्थान पर लेप बना कर लगाया जाता है तो लाभ मिलता है|

जहरीले जीवों के काटने पर

  • यदि बिच्छु ने आपको काट लिया है तो इसके फल का सेवन से होने वाले दर्द और जलन का शमन किया जा सकता है|
  • इसी प्रकार सांप के काट लेने पर बड़ी गोरूम्ब की जड़ का चूर्ण बना लें| अब इस चूर्ण को पान के पत्र में रख कर सेवन करने से जलन और दर्द में कमी आती है|
  • इसके अलावा गोरूम्ब की जड़ का काढ़ा और पत्तों से निर्मित ताज़ा रस का सेवन करने से विष का प्रभाव कम होता है|

सूजन में (Indrayan for swelling)

  • सिरके के साथ गोरूम्ब की जड़ का चूर्ण बना कर उन्हें एक कर लें| अब इसे हल्का गर्म कर के सूजन वाले स्थान पर लगाने से सूजन खत्म होती है|
  • इसी प्रकार यदि स्तनों में सूजन की समस्या आती है तो इसकी जड़ का लेप लगाना चाहिए| इससे भी सूजन का शमन होता है|

मिर्गी के लिए इन्द्रायण का प्रयोग (Indrayan for epilepsy)

  • इस औषधि की जड़ का चूर्ण बना कर उसे सूंघने से अपस्मार या मिर्गी की समस्या का समाधान होता है|
  • इसके अलावा गोरूम्ब के पके हुए फल को गोमूत्र में अच्छी तरह से घोट कर यदि सूंघा जाता है तो मस्तिष्क को आराम मिलता है|

गठिया रोग में (Indrayan for gout)

  • हल्दी, सैंधा नमक और गोरूम्ब के फल का गूदा इन तीनो चीजों को अच्छे से घोट ले या पीस लें| जब इसका पानी सूख जाये तो इसकी उचित मात्रा में वटी बना लें| दिन में दो बार इसका सेवन दूध के साथ करने से गठिया का शमन होता है|

मासिक धर्म के विकारों का शमन करें (Indrayan for menstrual problems)

  • इस औषधि के बीज और काली मरीच का काढ़ा बना कर सेवन करने से मासिक धर्म में आ रही सभी प्रकार की समस्याओं में लाभ पहुँचता है|

उपदंश में

  • गोरूम्ब की जड़ में पकाये हुए एरंड के तेल को सुबह शाम दूध के साथ लेने से उपदंश में लाभ मिलता है|
  • इन्द्रायण की जड़ का क्वाथ बना कर पीने से उपदंश की समस्या का समाधान होता है|

पूयमेह के लिए उपयोगी इन्द्रायण

  •  हरड, आंवला, बहेड़ा, हल्दी और छोटी इन्द्रायण की मूल का काढ़ा बना कर सुबह शाम पीने से सुजाक या पूयमेह में लाभ मिलता है|

मूत्र रोगों में (Indrayan for urinary disease)

  • गोरूम्ब की जड़ के चूर्ण को हल्के गरम पानी के साथ पीने से मूत्र से जुडी हुई सभी समस्याएँ दूर होती है|
  • इसके अलावा गोरूम्ब की मूल, त्रिफला और हल्दी से बना हुआ काढ़ा पीने से सभी प्रकार के मूत्र रोग दूर होते है|

पेट में पानी भर जाने पर

  • बकरी के दूध में रात भर गोरूम्ब के फल के गूदे को रख दें| सुबह सुबह इस दूध में खांड मिलाकर सेवन करें| कुछ ही दिनों में सकारात्मक प्रभाव दिखेगा|

हैजा में

  • हैजा या विसूचिका से पीड़ित रोगी यदि इस फल के गूदे को गर्म पानी के साथ सेवन करता है तो काफी अच्छा लाभ मिलेगा|

कान में घाव होने पर

  • गर्म नारियल के तेल में इसके फल के पीसे हुए गूदे को मिला लें| अब इसे कान में होने वाले घाव पर लगायें| कुछ ही दिनों में घाव भरता हुआ दिखाई देगा|
  • तेल में उबले हुए गोरूम्ब के फल के छिलके को निकाल कर, उस तेल को कान में डालने से कम सुनाई देना या बहरापन दूर होता है|

नाक में होने वाली फुंसियों के लिए

  • इन्द्रायण के फल को नारियल के तेल में पकाकर तेल को घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरता है|

सिर दर्द का शमन करे इन्द्रायण (Indrayan for head ache)

  • इस औषधि के फल का रस निकाल लें| इस रस को तेल में पका लें| पके हुए तेल को माथे पर लगाने से सिर दर्द का शमन होता है|

बालों के लिए लाभदायक (Indrayan for hairs)

  • गोरूम्ब के बीजों से निकलने वाले तेल की बालों में मालिश करने से बाल काले और घने होते है|
  • गोरूम्ब के के बीजों को पीसकर दूध के साथ पीने से भी बाल काले होते है|

बवासीर में (Indrayan for piles)

  • बवासीर या अर्श से परेशान व्यक्ति यदि इन्द्रायण का सेवन वैद्य के अनुरूप करता है तो बवासीर का समापन हो सकता है|

उपयोगी अंग (भाग) (Important parts of)

  • जड़
  • पत्ती
  • बीज
  • फल

सेवन मात्रा (Dosage of )

  • क्वाथ5 ml तक या चिकित्सक के अनुसार