लशुनादि वटी (Lashunadi vati)
लशुनादि वटी का परिचय (Introduction of Lashunadi vati)
लशुनादि वटी क्या हैं? (Lashunadi vati kya hai?)
यह एक आयुर्वेदिक औषधि हैं तथा इसका मुख्य घटक लहसुन होता हैं| अकेला लहसुन भी पेट की कई समस्याओं से निजात दिलाता हैं लेकिन जब इसे और भी प्रभावशाली घटक जैसे जीरा, हींग आदि के साथ मिलाकर तैयार किया जाता हैं तो यह पहले से अधिक अच्छा प्रभाव दिखाती हैं|
लशुनादि वटी का सेवन करने से पेट से या पाचन तंत्र से जुड़े सभी रोगों का शमन होता हैं| इसका मुख्य प्रयोग पेट में वायु भर जाने पर किया जाता हैं| इसके सेवन से मंद पाचक अग्नि, पेट दर्द, अजीर्ण, विसूचिका या हैजा आदि समस्याएँ दूर होती हैं| इसके अतिरिक्त इसका उपयोग ह्रदय रोगों में भी किया जाता हैं|
लशुनादि वटी के घटक द्रव्य (Lashunadi vati ke gatak)
- लहसुन
- सफ़ेद जीरा
- शुद्ध गंधक
- सैंधा नमक
- सोंठ
- काली मिर्च
- पीपल
- घी में भुनी हुई हींग
- नीम्बू का रस
लशुनादि वटी बनाने की विधि (Lashunadi vati banane ki vidhi)
लहसुन को छील कर तीन दिन तक छाछ में भिगो दें| इसके बाद इन्हें निकाल कर पानी से धो लें| छीले हुए लहसुन और बाकी बची सारी औषधियों को अच्छे से कूट कर उनका चूर्ण बनान लें| इसके बाद निम्बू के रस में 3 दिन तक घोंटकर गोलिया बना कर सुखा लें|
लशुनादि वटी के फायदे (Lashunadi vati ke fayde)
पेट में वायु भर जाने पर
जब पेट में वायु भर जाती हैं तो डकारें आने लगती हैं| इस वायु को पचाने तथा डकारों को बंद करवाने के लिए यह एक उत्तम औषधि हैं| पेट में वायु अजीर्ण के कारण भर सकती हैं| पेट में वायु भरने को सामान्य भाषा में गोला बनना भी कहा जाता हैं|
दिमागी काम करने वाले लोगो को इसकी शिकायत ज्यादा होती हैं क्योंकि की शारीरिक गतिविधि कम होने के कारण भोजन पचने में कठिनाई आती हैं| इसके कारण जी मचलना, सिर भारी लगना, धड़कन की अनियमितता, चक्कर आना, खट्टी डकारें, पेट फूलना आदि जैसे लक्षण हो सकते हैं|
कब्ज़ में (For constipation)
कब्ज की समस्या एक बहुत ही आम समस्या हैं| यह समस्या हर दूसरे व्यक्ति में पाई जाती हैं| इसका कारण भारी भोजन जैसे मेदा और पानी की कमी हो सकता हैं| इसके अतिरिक्त भी मनुष्य जीवन में आज कल के खान पान के कारण कब्ज होना एक आम बात हैं| कब्ज के कारण गैस बनी रहती हैं|इस औषधि का सेवन कब्ज़ में करने पर इससे छुटकारा मिलता हैं|
बदहजमी में (For indigestion)
आमाशय या पेट में भोजन को पचाने वाला रस जब पेट की सुरक्षात्मक जगहों पर फ़ैल कर उन्हें नुक्सान पहुंचाता हैं तो इसका प्रभाव पाचन तंत्र पर पड़ता हैं जिसके कारण भोजन का पाचन सही प्रकार से नही हो पाता हैं | इसी कारण अपच या बदहजमी की समस्या आती हैं | अधिक शराब का सेवन, जल्दी जल्दी भोजन करना आदि इसके कारण हो सकते हैं |
इस स्थिति में इस वटी का सेवन करने से बदहजमी से राहत मिलती हैं|
विसूचिका या हैजा में
यह एक ऐसा रोग होता हैं जो पानी में बैक्टीरिया होने के कारण फैलता हैं| इस रोग में गंभीर दस्त होती हैं और शरीर में पानी की कमी हो जाती हैं| सही समय पर इलाज़ ना करने पर यह जानलेवा भी हो सकता हैं| इस रोग में यदि इस औषधि का सेवन किया जाये तो राहत मिलती हैं|
अतिसार में
इस रोग में व्यक्ति को बार बार मल त्यागने जाना पड़ता हैं| अतिसार दूषित भोजन के कारण या अधिक तीखा, मसालेदार और भारी भोजन के कारण हो सकता हैं| इस रोग से बिना किसी दुष्प्रभाव से निपटने के लिए इस वटी का प्रयोग करना चाहिए|
लशुनादि वटी के अन्य फायदे (Other benefits of Lashunadi vati)
- मोटापे में
- ह्रदय रोग में
- लीवर रोग में
- भूख बढ़ाने में
- आंत में कृमि संक्रमण
- पाचक अग्नि बढ़ाये
- पेट दर्द आदि में
लशुनादि वटी की सेवन विधि (Lashunadi vati ki sevan vidhi)
• 1 से 2 गोली का सेवन भोजन के बाद गर्म जल के साथ करें|
लशुनादि वटी का सेवन करते समय रखी जाने वाली सावधानियाँ (Lashunadi vati ke sevan ki savdhaniya)
- औषधि का सेवन अधिक मात्रा में करे
- इसका सेवन करने से पहले चिकित्सक की सलाह जरुर ले| (विशेष रूप से जीर्ण रोगी)
- गर्भवती महिला को इसके सेवन से परहेज करना चाहिए|
- किसी भी व्यक्ति को इसका सेवन करने से पहले चिकित्सक की सलाह जरुर लेनी चाहिए|
- यदि आप पहले ही किसी रोग से ग्रसित हैं तो इसकी जानकारी अपने चिकित्सक को दे कर ही इसका सेवन शुरू करें|
- बच्चो की पहुँच से इसे दूर रखे|
लशुनादि वटी की उपलब्धता (Lashunadi vati ki uplabdhta)
- डाबर लशुनादि वटी (Dabur Lashunadi vati)
- बैधनाथ लशुनादि वटी (Baidyanath Lashunadi vati)
- संजीविका लशुनादि वटी (Sanjeevika Lashunadi vati)
- उंझा लशुनादि वटी (Unjha Lashunadi vati)
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