kankasav benefits, doses and contents
औषधी दर्शन

कनकासव: आज ही शुरू करें श्वास, कास और दमा जैसी 9 बिमारियों का इलाज़

कनकासव का परिचय: फायदें, सेवन, घटक: (Introduction of kanakasava: benefits, doses)

1. कनकासव क्या हैं? (What is kanakasava??)

यह एक आयुर्वेदिक औषधि हैं जो आसव विधि द्वारा बनाई जाती हैं| इस औषधि का मुख्य घटक धतूरा होता हैं| धतूरे को आयुर्वेद में कनक कहा जाता हैं इसी कारण इस औषधि को कनकासव कहा गया हैं| इस औषधि का कार्य सांस से सम्बंधित बीमारी को खत्म करना हैं|

सांस से सम्बंधित बीमारी जैसे अस्थमा, खांसी, छाती में जमा हुआ कफ आदि जैसी समस्याओ में कनकासव का प्रयोग किया जाता हैं| कनकासव एक आयुर्वेदिक औषधि होने के कारण इसके किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नही होते हैं|

2. कनकासव के घटक द्रव्य | (Contents of kanakasava)

  1. धतूरा
  2. मुलेठी
  3. पीपली
  4. वासा
  5. कटेली
  6. भारंगी
  7. सोंठ
  8. तालिश पत्ते
  9. धातकी पुष्प
  10. मुनक्का
  11. शहद
  12. शक्कर
  13. जल
kanakasava benefits herbal arcade
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3. कनकासव बनाने की विधि | (How to make kanakasava)

इस औषधि को बनाने के लिए आसव विधि का प्रयोग किया जाता हैं| सबसे पहले धतूरा, मुलेठी, पीपली, वासा, कटेली, भारंगी, सोंठ, तालिश पत्ते, धातकी पुष्प इन सभी औषधियों को अच्छे से कूट लिया जाता हैं| तत्पश्चात एक मिट्टी के घड़े में जल डाला जाता हैं|

अब उस जल में शक्कर, मुनक्का को अच्छे से घोला जाता हैं| जल में शक्कर और मुनक्का के घुल जाने पर जल में कूटी हुई औषधियों को डाला जाता हैं| इसे अच्छे से हिला कर ढक्कन बंद करके एक महीने के लिए छोड़ दिया जाता हैं| एक महीने के पश्चात् यह औषधि तैयार हो जाती हैं| अब इसका सेवन किया जा सकता हैं|

4. कनकासव के उपयोग और फायदे | (Benefits of kanakasava)

• सांस सम्बंधित समस्याओ में

आज कल के जल प्रदूषण और वायु प्रदूषण के कारण लोगो में सांस की बीमारी एक आम बीमारी हो गयी हैं| सांस की बीमारी में दमा जिसे अस्थमा की बीमारी भी कहा जाता हैं| कनकासव इस बीमारी को दूर करने में लाभदायक होता हैं |

दमा नामक सांस की बीमारी में श्वशन मार्ग में सूजन आ जाती हैं| जिसके कारण रोगी को सांस लेने में कठिनाई आती है| इस समस्या में राहत पाने के लिए कनकासव सिरप का प्रयोग किया जाता हैं| दमा श्वास के कारण आई बुखार में भी यह दवाई फायदेमंद होती हैं|

कनकासव खांसी और फेफड़ो से सम्बंधित परेशानी में

यह औषधि छाती में जमे कफ को खत्म करने में मदद करती हैं और फेफड़ो को आराम देती हैं| इसी के साथ साथ यह औषधि पुरानी खांसी हो या बलगम वाली खांसी दोनों को ही मिटाने में भी काम में ली जाती हैं| इस औषधि के प्रयोग से फेफड़ो में हो रहे संक्रमण में भी लाभ मिलता हैं |

इस औषधि से फेफड़ो में हो रहे संक्रमण के कारण हो रही बैचेनी और घबराहट से भी आराम मिलता हैं| इस औषधि का मुख्य कार्य वात और कफ को संतुलित करना होता हैं| यह औषधि टीबी जैसी बिमारियों में भी फायदेमंद होती हैं| यह दवाई फेफड़ो को नई ऊर्जा प्रदान करती हैं| इसकी प्रवृति गरम होने के कारण यह आसानी से कफ को बाहर निकाल सकती हैं|

कनकासव के फायदे herbal arcade
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कनकासव पाचन में सुधार करने में सहायक

यह औषधि मनुष्य के पाचन तंत्र को संतुलित करने में मददगार होती हैं| इस औषधि के प्रयोग से मनुष्य का पाचन तंत्र एक दम स्वस्थ रहता हैं| यह औषधि मनुष्य के शरीर में जा कर हार्मोन्स का संतुलन करती हैं जिसके कारण हमारा पाचन तंत्र मजबूत होता हैं
और मजबूती से कार्य करता हैं| पाचन तंत्र के सही होने से मनुष्य में फुर्ती आती हैं|

कनकासव रक्त पित्त की समस्या में असरदार –

यह औषधि रक्त पित्त की समस्या का भी समाधान करती हैं| रक्त पित्त की अवस्था में मनुष्य के शरीर में नाक से खून बहने लगता हैं| कनकासव इस समस्या का निवारण कर सकता है | रक्त पित्त की समस्या में पित्त बढ़ जाता हैं जिसके कारण यह हमारे रक्त को दूषित कर देता हैं इसके कारण रक्त शरीर के विभिन्न अंगो से बाहर आ जाता हैं|

जीर्ण ज्वर से राहत

यह औषधि जीर्ण ज्वर में भी लाभदायक होती हैं| जीर्ण अर्थात पुराने बुखार में भी यह औषधि काफी अच्छी तरह से काम करती है| जब जीर्ण ज्वर (बुखार) में ठण्ड लगने के साथ साथ पसीना आ जाता हैं या इसके कुछ लक्षण मलेरिया से मिलते जुलते होते हैं तो ऐसी अवस्था में कनकासव औषधि एक उचित औषधि होती हैं|

अतिसार से राहत

अतिसार समस्या एक बहुत आम समस्या हैं इसे सामान्य भाषा में दस्त भी कहा जाता हैं| कनकासव इस समस्या से भी राहत देता हैं| अतिसार दूषित खान पान या भारी खान पान के कारण हो सकता हैं |

शीत ज्वर में सहायक

इस ज्वर में नाड़ी मंद पड़ जाती हैं शरीर ठण्ड के कारण टूटने लगता हैं| सर दर्द और शरीर में कम्पन होने लगता हैं| यह एक विषाणु के कारण होता हैं| इस ज्वर के उपाय के लिए कनकासव का उपयोग करना चाहिए|

हिक्का की बीमारी का उपाय

हिक्का एक ऐसी समस्या है जिसमे मनुष्य को हिचकी आती रहती हैं तथा इससे उसे राहत नही मिल पाती हैं| जब शरीर में उपसथित वायु पसलियों और आंतो को पीड़ा पहुचाते हुए गले के माध्यम से झटके से बाहर निकलती हैं तोह इसके हिक्का रोग कहते हैं| कनकासव औषधि इस समस्या से राहत पहुचाने में मददगार हैं|

कनकासव अश्मरी (पथरी) की समस्या में लाभदायक

जब वात दोष पित्त और कफ को सुखा देता हैं तो इससे पथरी का निर्माण होता हैं| जब अश्मरी मूत्राशय में आ जाती हैं तो मूत्र त्याग में दिक्कत आती हैं| कनकासव इस समस्या पर भी असर करता हैं तथा पथरी से होने वाली समस्याओ से बचाता हैं|

5.कनकासव की सेवन विधि और मात्रा | (Doses of kanakasava)

इस औषधि का सेवन सुबह शाम खाने के बाद गुनगुने पानी के साथ करना चाहिए|

             आयु           मात्रा
५ वर्ष की आयु से ऊपर के बच्चो के लिए६ से १२ मिलीलीटर
व्यस्क व्यक्तियों के लिए१२ से २४ मिलीलीटर

6.कनकासव की सावधानिया | (Precautions of kanakasava)

  1. इस औषधि का सेवन गर्भवती महिला को नही करना चाहिए|
  2. इसकी मात्रा ज्यादा होने पर पेट में जलन हो सकती हैं| इसके अतिरिक्त ज्यादा मात्रा के कारण इससे सर दर्द , जी मचलना आदि समस्या भी हो सकती हैं इसलिए इसका सेवन अधिक मात्रा में न करे|
  3. पित्त प्रधान प्रकृति के लोगो को इसका सेवन ज्यादा लम्बे समय के लिए नही करना चाहिए|
  4. धतूरा एक नशीला पर्दाथ होता है इस कारण इस औषधि का प्रयोग डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करे|
  5. स्तनपान करने वाली महिलाओ को इसका प्रयोग नही करना चाहिए|

7.कनकासव की उपलब्धता | (Availability of kanakasava)

  1. डाबर कनकासव (Dabur kankasava)
  2. बैधनाथ कनकासव (Baidyanath kankasava)
  3. सांडू कनकासव (Sandu kankasava)
  4. धूतपापेश्वर कनकासव (Dhootpapeshwar kankasava)
  5. मुलतानी कनकासव (Multani kankasava)
  6. बेसिक आयुर्वेदा कनकासव (Basic Ayurveda kankasava)
  7. आयुर्वेदा कनकासव (Ayurveda kankasava)

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NOTE– यदि आपका कोई प्रश्न है तो बेझिझक पूछें। आपको प्रत्येक उचित प्रश्न का सही जवाब मिलेगा|

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